सैम मुखेम त्रिवार्षिक श्रीकृष्णा मैले का होगा बिशाल आयोजन

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टिहरी जिले में प्रतापनगर में सेम मुखेंम के जंगल की बीच बना भगवान श्री कृष्ण का मन्दिर हें जहा पर लाखों श्रद्वालुओं ने भगवान श्री कृष्ण से जय कारे के साथ भगवान के दर्शन कर मन्नतें मांगी। यह पर स्थानिया देबता गण डोलिय भगवान श्री कृष्णा मेले के दिन मन्दिर में दर्शन करने जाते हें

इस मन्दिर में जो भी आता वह खाली हाथ नही लोटता हें यह पर पुत्र प्राप्त की मन्नते पूरी होती हें ओर तो इस मन्दिर के पास बने पानी के कुण्ड से पानी पीता हें उसको कुश्ट रोग दूर होते हें

दन्त कथाओ में इसका प्रमाण हे जिसके आधार पर कहा जाता है कि इस क्षेत्र में राजा गगू रमोला  से भगवान श्री कृष्ण ने साधु की वेशवूषा में जा कर राजा गगू रमोला से 2 गज जमीन मांगी लेकिन राजा की हठ धर्मिता के कारण  राजा गगू रमोला ने भगवान श्राी कृष्णा को 2 गज जमीन नही दी तो भगवान श्री कृष्णा ने राजा भगवान कृष्णा की सारी भेंस बकरी पशुओ को पत्थर बना दिया था जिनका प्रमाण आज भी यह जिन्दा हें।  साथ ही कृष्णा को राजा ने भिक्षा नही दी थी तो कृष्णा ने श्राप दिया थी कि जिस तरह से मे तेरे से भीख माग रहा हू तेरा कुटुम्ब के हर ब्यक्ति भी भीख मागेगा तो आज भी सेम मुखेम के लोगो को हर साल में एक बार भीख मागने जाना पडता हे चाहे वह करोड पति ही क्यू ना हो ।

तो उसके बाद श्राी भगवान कृष्णा ने राजा गंगू रमोला की पत्नी के सपने में आकर कहा कि अगर उनका पति धर्मिता करेगा तो बडा अर्नथ हो जायेगा

उसके बाद उसकी पत्नी ने राजा को समझाया तो राजा ने भगवान श्राी कृष्णा से मांफी मागी उसके बाद भगवान श्री कृष्णा ने उनको माफ किया उसके बाद भगवान श्री कृष्णा ने राजा की पत्नी को कहा जो बर मागोगे वह मिल जायेगा कहो तो राजा की कोई ओलाद नही थी तो उन्होने पुत्र प्राप्त होने को बरदान मागा तो बरदान मिला उसके बाद राजा के दो पुत्र हुये बिन्दुआ ओर सिद्धुआ जो आगे चल कर प्रसिद्ध हुये

यह भी कहा जाता हें कि जब कालन्दी नदी पर भगवान श्री कृष्णा की गेंद गिरी तो कालिया नाग को नदी से भगाकर सेम मुखेम में जाने को कहा था

यह पर देश बिदेशो के लोगो की बडी आस्था हें

देश का 11वां ओर उतराखण्ड का 5 वां धाम के रूप मे माने जाने वाला कृृष्णा भगवान की तप स्थली हे सेम मुखेम टिहरी के सेम मुखेम के उची उची चोटी जगंलो के बीच मे कृृष्णा भगवान की तप स्थली हे यह के लोगो के साथ 2 बाहर के लोगो का भी यह पर बिश्वास बढने लग गया हे यह जो भी आता हे खाली हाथ लोट कर नही जाता भगवान कृृष्णा भगवान उसकी हर मनो कामना पूरी करते हे

यह के पुजारी बताते हे कि हमारे पुराने दन्तकाओ में वर्णन हे कि जो भी भक्त यह आते हे चाहे वह कुष्ट रोग हो या ग्रह कलेश किसी भी प्रकार की बेदनाओ से पीडित हो यह आकर मन्नत मागने से पूरी हो जाती हें।साथ ही बताते हे कि जब हिडिम्बा राक्षस यह इनके मारने आई थी तो उस समय कृृष्णा भगवान ने उसे यही मार दिया था तब उस समय उस राक्षस के जहा.2 शरीर के हिस्से गिरे उनको उसी के नाम से जाना जाने लगा।ओर आज भी उन गावो के नाम उसी राक्षस के नाम पर पडे हें

आज भी सेम मुखेम मन्दिर के मेदान में पशुओ की पत्थर शिला बनी हें ओर आज भी यह मान्यता हे कि इस गाव के लोग चाहे कितना ही बडा आदमी ओर धनवान क्यो न हो उसे जीवन में एक बार भिक्षा मागने जरूर जाना पडता हें।

ओर जिन लोगो की जन्म कुण्डली में काल सर्पकार्प योग होता हे तो वह लोग चांदी के बने दो सर्प नाग नागिन के यह लाकर मन्दिर में चढाता हें तो उसकी अकाल मृत्यु से निजात मिलता हें।

टिहरी गढवाल के प्रतापनगर तहसील में समुद्र तल से 7000 हजार फीट की उचांई पर पहडियो के बीच भगवान कृष्णा के नागराजा के स्वरूप का मन्दिर हे।

इस पत्थर तक पहुचने के लिये टिहरी जिला मुख्यालय से लम्बगाव से 10 किलोमीटर कोडार होते हुये तलबला सेम तक वाहन से पहुचा जाता हे। उसके बाद खडी चएाई पैदल चलकर सेम मुखेम मन्दिर तक पहुचते हे उसके बाद ढुगढुगीधार पहुचकर पत्थर को देख सकते हे।

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