लालकुआ सेंचुरी पेपर मिल पिछले कई दशकों से क्षेत्रवासियों को रोग परोस रही

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लालकुआ हजारो लोगों को रोजगार देने वाली एशिया की सबसे बड़ी पेपर मिल में शुमार लालकुआ सेंचुरी पेपर मिल पिछले कई दशकों से क्षेत्रवासियों को रोग परोस रही है। मिल की असमान छूती चिमनिया से निकालने वाला जहरीला धूएं ने नगर ही नहीं बल्कि इसके आस पास गांव को भी अपनी जद में ले रखा है। वही मिल के केमिकल युक्त दूषित नाले ने कितने लोगों को आपने आगोश में ले लिया है यहां कोई नहीं जानता है। इसी को लेकर कई बार स्थानीय लोगों ने प्रर्यावरण बोर्ड में शिकायत ही नहीं कि बल्कि मिल गेट से लेकर उप जिलाधिकारी कार्यालय तक धरना दिया। लेकिन मिल प्रबंधक कि ऊची पकड़ के चलते यहां समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है।
बताते चलें कि सन 1984 में तात्कालिन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी द्वारा स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने के मकसद से बिरला ग्रुप की पेपर मिल स्थापित की जिसको लोग सेंचुरी पेपर मिल से जानते हैं। जो कि पुरे एशिया की सबसे बडे़ पेपर उघोग के रूप में जानी जाती है। लेकिन यहां मील हजारों लोगों को रोजगार देने के साथ ही आपनी चिमनियोंं से निकलने वाले जहरीले धुएं से सक्रमण रोग भी परोस रही है। वही बात करें बीते बर्षो कि तो मील से निकलने वाले जल, वायु, ध्वनि के प्रदूषण ने लोगों का जीना दूभर हो गया है। वही मील से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित नाले ने किसानों की फसलों को भी चोपट किया हुआ है। मील से निकलने वाले जहरीले प्रदूषण से निजात दिलाने की मांग को लेकर लालकुआ, घोड़ानाला, बिन्दुखत्ता, हल्दूचोड, शान्तिपुरी क्षेत्र के लाखों क्षेत्रवासी शासन प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। माना जाये तो बिरला ग्रुप को प्रशासन ने भी प्रदूषण परोसने की खुली छूट दे रखी है। वही मील प्रबन्धन ने भी प्रदूषण से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं। वहीं मील से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित पानी ने ग्रामीणों की जमीनों को बंजर कर दिया है। जिसे लोगो को काफी परेशानी हो रही है।
अखिर क्यों डरता है प्रशासन कार्रवाई से— – – – – – – – – –
स्थानीय लोगों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण करने की मांग कई सालों चलती आ रही है लेकिन प्रशासन कार्रवाई करता कहीं नजर नहीं आ रहा है। क्योंकि उसकी एक वजह मील प्रबंधन की अच्छी पकड़। जब कभी प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बनता है तो उसे पहले मील प्रबंधन और प्रशासन की साठगांठ हो जाती है। और कार्रवाई ठन्डे बस्ते में डाल दी जाती है।
शकुन्तला गौतम की रिपोर्ट का पता नहीं।——
90 के दशक में सेंचुरी के दूषित पानी के खिलाफ स्थानीय लोगों द्वारा किये प्रदर्शन पर तात्कालिकन उप जिलाधिकारी शकुन्तला गोतम द्वारा लिये केमिकल युक्त पानी के सेम्पल कि रिपोर्ट का आज तक पता नहीं चल पाया है वहीं प्रर्दशनकारी भी इसी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग शासन प्रशासन से कर चुके है। जो आज तक नहीं हूई।
अब होगी आर पार की लड़ाई।
इधर स्थानीय निवासी आनन्द गोपाल बिष्ट ने कहा कि क्षेेत्र की जनता पिछले कई सालों से सेंचुरी पेपर मिल से निकालने वाले जहरीले प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है लेकिन मामला इतना गम्भीर होने के बाद भी शासन प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं जो सोचने बिषय है उन्होंने मील प्रबंधन एवं जिला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अब तक जो भी अन्दोलन हुए उसे शासन प्रशासन द्वारा दबा दिये गये लेकिन जनता सब समझ चुकी है अब लडाई आर पार की होगी। जिसके लिये तैयारियां चल रही है।

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