महाराज कनकपाल ने दशहरे के दिन शस्त्र पूजन का विधान चांदपुर गढ़ी से किया था आरम्भ

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पुराना टिहरी दरबार ट्रस्ट, द्वारा पारम्परिक त्योहार दशहरा को पूर्ण विधि विधान से मनाया गया इस पावन अवसर पर शस्त्र पूजन की प्राचीन व महत्वपूर्ण परंपरा को भी पारंपरिक रीति रिवाजों के रूप में सम्पन किया गया। इस परंपरा के बारे में टिहरी दरबार के वंशज श्री भवानी प्रताप जो कि वर्तमान में टिहरी दरबार के मुख्य संरक्षक है ने विस्तार से बताते हुए कहा कि इस परंपरा की शुरुआत

गढ़वाल रियासत में पवांर वंश के द्वारा आरंभ की गई, जिसमे महाराज कनकपाल ने दशहरे के दिन शस्त्र पूजन का विधान चांदपुर गढ़ी से आरम्भ किया तत्पश्चात ये परंपरा देवलगढ़ से होते हुए श्रीनगर व टिहरी तक बड़े ही धूम धाम से मनाई जाने लगी। रियासत काल मे इस दिन राजकोष की भी घोषणा की जाती थी , इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से जागीदारों, थोकदारों द्वारा दरबार में कुल देवी राजरशेश्वरी की पूजा के साथ भेंट चढ़ाने की प्रक्रिया संम्पन होती है। इसी के साथ समस्त कुल देवताओं व वीरपुरुषों आदि का भी पूजन व स्मरण किया जाता हैं। दशहरा त्योहार पूजन में शस्त्र पूजन राजगुरु आचार्य कृष्णा नंद नौटियाल द्वारा केदार नाथ के प्रसाद रूप ब्रह्म कमल जिसे श्री शैलेश नौटियाल द्वारा लाया गयाएवं भगवान श्री बद्री विशाल जी के प्रसाद रूप में तुलसी माला जो कि हरीश डिमरी द्वारा लाया गया ,के साथ पारंपरिक तरीके से किया गया । इसी के साथ बलि विधान का निर्वाह इस अवसर पर col. आलोक रावत द्वारा किया गया।
इस पावन अवसर पर राजपरिवार के सदस्यों में ठाकुर भवानी प्रताप, ठाकुर कीर्ति प्रताप , डॉ योगंबर सिंह बर्थवाल,मोहन सिंह नेगी,हरीश डिमरी,डॉ अर्चना डिमरी, कुसुम रावत,बद्री प्रसाद उनियाल ,सागर जी महाराजआदि उपस्तिथ रहे।
इसी के साथ अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भी राजराजेश्वरी की पूजा अर्चना की गई साथ ही सभी ने वर्तमान परिस्तिथियों के जल्द ही सही होने की मंगल कामनाएं की। सनातनी परंपरा व दस्तूर के दशहरा पर्व को लेकर सभी ने शुभकामनाये दी ।

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