टिहरी बांध से प्रभावित रौलाकोट के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मिलकर गांव का विस्थापन करने और परिसंपित्तयो का भुगतान करने की मांग की है। उनका कहना है कि टिहरी झील का जल स्तर बढ़ते ही गांव के लोग दहशत में आ जाते हैं। झील के कारण गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है। लेकिन टीएचडीसी गांव के विस्थापन को तैयार नहीं। उन्होंने समस्याओं का ज्ञापन डीएम को सौंपते हुए कार्रवाही की मांग की है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने रौलाकोट गाव को तत्काल विस्थापन करने का आदेश दिया हैइस आदेश के बाद भी आजतक कार्यवाही नही हुई, रौलाकोट के ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने डीएम से मुलाकात कर समस्याओं से अवगत कराया। बताया कि 2005 से रौलाकोट और निकटवर्ती गांव नकोट, स्यांसू आदि के विस्थापन के लिए भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने स्वीकृति दे दी थी। लेकिन 13 साल बाद भी गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है। वर्तमान मे गांव में 120 परिवार निवासरत हैं। बरसात का सीजन शुरू होते ही ग्रामीण भय के माहौल में जीवन यापन करते हैं, क्योंकि इस दौरान झील का जल स्तर लगातार बढ़ता रहता है। झील के कारण मकानों में दरारें पड़ गई हैं। ग्रामीण पुनर्वास विभाग के चक्कर काटकर थक चुके हैं। पुनर्वास के अधिकारी जमीन न होने का बहाना बनाकर इतिश्री कर देते हैं। कहा कि विभाग ने गांव वालों की जमीन की रजिस्टरी भी करवा दी है लेकिन अभी तक पुनर्वास के संबंध में कोई कार्रवाही नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी जनहित याचिकाओं पर उक्त गांवों के विस्थापन के निर्देश दिए हैं लेकिन कोर्ट के आदेशों का भी पालन सरकार और प्रशासन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने डीएम से मांग की कि विस्थापन की कार्रवाही की शुरू की जाए अन्यथा वह दुबारा कोर्ट की शरण और आंदोलन शुरू करने को बाध्य होंगे। प्रतिनिधिमंडल में बलवीर सिंह, अरविंद नौटियाल, बच्चीराम थपलियाल, मायाराम थपलियाल, धनपाल सिंह, विनोद सिंह, उत्तम धनाई, प्रेम सिंह, जगमोहन सिंह, अनिल थपलियाल आदि शामिल थे।
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