एक ऐसा सीमांत गाव जहा भेड़ लगाते है मंदिर के चारो तरफ दौड़,

0
548

उत्तराखंड के हर कोने में सौंदर्य, इतिहास और प्रकृति का खजाना फैला हुआ है और इसी को देखने के लिए दुनिया भर के पर्यटक लाखों की तादाद में यहां पहुंचते हैं. यूं तो यहां का हर कोना, शहर और गांव अपना अलग महत्व रखता है लेकिन यहां की कुछ जगहों का आकर्षण पर्यटकों के बीच हमेशा ही रहता है.

सीमांत गंगी गांव का भेड़ कौथिग मेला अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है जहां पर गंगी गांव के ग्रामीणों के द्वारा पाली गई हजारों के संख्या में भेड़ो को मंदिर के प्रांगण में लाया जाता है और यह भेड़ मंदिर के प्रांगण में पहुंचते ही मंदिर के चारों तरफ दौड़ने  लगते हैं ग्रमीणों का कहना है कि कहीं ना कहीं देव शक्ति से ही इसे इस तरह का चमत्कार गंगी गांव में होता है ओर स्थानीय कुल देवताओं किस शक्ति के वजह से हजारों की संख्या में भेड़ मंदिर के चक्कर लगाते हैं जो अपने आप में देखने लायक होता है देश विदेशों के पर्यटक इस कार्यक्रम में आने के लिए उत्सुक रहते हैं लेकिन कोविड के कारण विदेश से आने वाले पर्यटक यह नही आ सके,

मेले और त्योहार एक-दूसरे से मिलने के अवसर होते है । प्राचीन समय में, जब संचार और परिवहन की कोई ऐसी सुविधाएं नहीं थीं, तो इन मेलों और त्यौहारों ने रिश्तेदारों और दूर दूर भौगोलिक स्थानों पर रहने वालों के साथ मुलाकात जेसे सामाजिक सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इन आयोजनों के पीछे धार्मिक महत्व और सामाजिक संदेश जेसे सामाजिक महत्व होते है। घनसाली क्षेत्र के अधिकांश त्योहार पौराणिक परंपराओं पर आधारित हैं।

गंगी गांव टिहरी जनपद का सबसे सूदूर सीमांत गांव है । विकास खंड मुख्यलय से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गंगी गांव आज भी अपने रीति रिवाजों पर कायम हैं । गंगी गांव के लोगों का रहन- सहन और भेष-भूषा आज भी वैसे ही है जैसे पहले हुआ करता करता था।
गंगी गांव के इष्टदेव सोमेश्वर महादेव के प्रांगण में हर तीसरे वर्ष भेड़ कौथिग का आयोजन होता है । इस आयोजन के दौरान हजारों की संख्या में भेड़ बकरियों को मंदिर के आगे पीछे घुमाया जाता है।

गंगी गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि और भेड़ पालन है , जिस कारण यहां पर हर तीसरे वर्ष भेड़ कौथिग का आयोजन होता है पारंपरिक भेष-भूषा में यहां पर झुमैलो नृत्य भी होता है जो मेले का मुख्य आकर्षण रहा है ।

स्थानीय निवासी भजन रावत ने कहा कि यहा पौराणिक मेला है जो हर तीसरे वर्ष लगता है और इस वर्ष यहा कार्यक्रम सबसे भव्य और दिव्य हुआ है।

वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण ने कहा कि गंगी गांव का भेड़ कौथिग मेला वर्षों से होता आ रहा है। गांव के पुरूषों और महिलाओं की पारम्परिक पहनाव अपने आप में अलग पहचान रहता जिसे पहन कर मैं भी आनंद महसूस हुआ और लोगो से अपील करती हूं कि अपनी संस्कृति और त्यौहारों का बचाएं रखें और एक बार गंगी गांव अवश्य आएं ।

वहीं कार्यक्रम में मौजूद रहे घनसाली विधायक शक्ति लाल शाह ने कहा कि ये कार्यक्रम सोमेश्वर महादेव का आशीर्वाद से होता है और भेड़ घुमाने वाला दृश्य अति सुन्दर दृश्य था, गंगी गांव के लोगों को बधाई देना चाहता हूं कि जिन्होंने अपनी पौराणिक संस्कृति को बचाया रखा है।

आपको बता दें यहां पर हर तीसरे वर्ष लगने वाला ये दो दिवसीय मेला बहुत ही भव्य मेला होता है। जहां पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।

गंगी गाव जाने के लिए घनसाली पहुंचना पड़ता है उसके बाद घुत्तू होते हुए गंगी गाव जाया जाता है

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here