ग्राम पंचायत की बैठक में नेपालियों को गाव छोड़ने का किया गया फरमान जारी

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बी.पी.रयाल/नरेंद्रनगर की रिपोर्ट–टिहरी जिले में चंबा विकासखंड के ग्राम पंचायत साबली ने खुली बैठक बुलाकर नेपाली श्रमिकों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। ग्राम पंचायत प्रधान सुधीर बहुगुणा की अध्यक्षता में पारित प्रस्ताव के मुताबिक ग्राम पंचायत की सीमा के अंतर्गत रह रहे नेपाली श्रमिकों को 3 माह के भीतर ग्राम पंचायत से बाहर हटने का फरमान सुनाया गया है।

प्रस्ताव पारित की क्यों पड़ी जरूरत
ग्राम पंचायत के अंतर्गत रहने वाले नेपाली श्रमिकों को सौभाग्य योजना का लाभ दिया गया ,योजना के तहत नेपाली श्रमिकों को विद्युत लाइन खींच कर विद्युत कनेक्शन दिए गए ,जबकि केंद्र सरकार की यह योजना देश के गरीब तबके के नागरिकों के लिए नि:शुल्क स्वीकृत है।ऐसे में यह बात गले नहीं उतर पा रही है कि इस योजना का लाभ विदेश से यहां आए श्रमिकों पर कैसे लागू किया गया है? यह ताज्जुब की बात नहीं तो और क्या है कि गांव के ग्रामीण इस योजना के लिए आज भी दर-दर भटकते दिख रहे हैं। यहां गंभीर सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर नेपाल से आकर साबली ग्राम पंचायत में ग्रामीणों की जमीन पर खेती-बाड़ी का कार्य कर रहे नेपाली श्रमिकों को इस योजना का तुरत-फुरत में लाभ देने को “आधार कार्ड बनाने वाली संस्था” और “विद्युत विभाग चंबा” के अधिकारियों व कर्मचारियों का दिल इस कदर कैसे पसीज गया कि उन्होंने अपनी नौकरी की परवाह न करते हुए, सरकारी नियमों को ताक पर रखकर आखिर कैसे नियम विरुद्ध काम करने को मजबूर हुए? इससे दोनों विभागों पर शक की सुई का लाजिमी है।

ग्राम प्रधान ने क्या कहा
दूसरा एक बड़ा सवाल उठाते हुए प्रधान सुधीर बहुगुणा का कहना है कि उनकी ग्राम पंचायत की सीमा के अंतर्गत रह रहे 140 नेपाली श्रमिकों के आधार कार्ड बन चुके हैं। यहां सवाल ये खडा़ होता है कि जो देश के नागरिक ही नहीं हैं उनका आधार कार्ड किन तथ्यों को लेकर बनाया गया? ग्राम पंचायत के प्रधान सुधीर बहुगुणा का कहना है कि जब ये नेपाली युवा रोजी रोटी के लिए भटकते-भटकते गांव क्षेत्र में पहुंचे तो ऐसे लोगों ने जो बाहर नौकरी पर थे,अपनी जमीन उत्पादन के समझौते तहत खेती-बाड़ी करने को इन्हें दी थी। मगर खेती-बाड़ी के आड़ में धीरे-धीरे इन नेपाली श्रमिकों ने क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम किया और गलत धंधा अपनाने लगे कहा कि ये नेपाली श्रमिक लकड़ी जलाने के नाम पर आसपास के जंगलों का सफाया कर रहे हैं, झोपड़ी बनाकर कच्ची शराब निकाल रहे हैं, जिसे लोकल युवाओं को सप्लाई किया जाता है, इनके द्वारा हर दृष्टि से जल, जंगल और जमीन का गलत तरीके से दोहन किया जा रहा है ,जो आने वाली पीढ़ी के लिए अभिशाप साबित होगा। ग्राम पंचायत प्रधान ने कहा ये कोई पांच-दस श्रमिक नहीं हैं, उनकी ग्राम पंचायत में इनके 38 परिवार हैं। कहा कि ये जहां जल,जंगल व जमीन का दोहन कर रहे हैं वहीं ये धर्मांतरण के कार्य में भी लगे रहते हैं।कहा कि कुल मिलाकर इनकी गतिविधियां क्षेत्र के अनुकूल नहीं हैं, इन्हीं सब बातों पर ठोस चर्चा के उपरांत ग्राम पंचायत ने ठोस प्रस्ताव पारित कर उन पर कार्रवाई अमल में लाने की बात की है।

खुली बैठक में ग्राम पंचायत ने लिए निर्णय
ग्राम पंचायत की खुली बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि 3 महीने के भीतर जैसे ही नेपाली श्रमिक उनके खेत खलियान छोड़ देंगे,वैसे ही ग्रामीण खेतों में बागवानी, नकदी फसलों का उत्पादन हेतु कार्य शुरू कर देंगे।बैठक में पारित प्रस्ताव के संबंध में नेपाली श्रमिकों को अवगत करा दिया गया है।ग्राम प्रधान सहित ग्राम पंचायत के सदस्य और ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत के अंतर्गत रहे रहे नेपाली श्रमिकों से संपर्क साध कर उन्हें नोटिस थमाते हुए अवगत करा दिया है कि वे 3 माह के भीतर उनकी ग्राम पंचायत की सीमा से हट जाएं अन्यथा उन पर विधिक कार्रवाई की जाएगी। ग्राम पंचायत के इस फैसले से नेपाली श्रमिकों और उनके परिवारों में हड़कंप मच गया है।वे ग्राम पंचायत से बाहर अपना ठिकाना तलाशने की कयावद में जुट गए हैं।इतना ही नहीं चंबा विद्युत विभाग ने इन नेपाली श्रमिकों को सौभाग्य योजना से किस तरह लाभान्वित किया और आधार कार्ड बनाने वाली संस्था ने इनके आधार कार्ड किस प्रमाण के आधार पर बनाए हैं दोनों ही विभागों के अधिकारियों में भी सुगबुगाहट तेज हो गई है। जांच में यदि कुछ गड़बड़ पाया जाता है तो दोनों विभागों पर गाज गिरनी तय है।

जिला पंचायत राज अधिकारी रणवीर सिंह असवाल का कहना है कि
सौभाग्य योजना देश के गरीब, असहाय परिवारों के लिए है, जो इस देश के नागरिक नहीं हैं इस योजना का लाभ उन्हें मिलने का सवाल ही नहीं है। आधार कार्ड बनाए जाने के मामले में कह कि नेपाल और भारत के लोग एक दूसरे देश में जाने-आने को वीजा फ्री देश हैं। मगर जब तक देश की नागरिकता नहीं ली, तब तक आधार कार्ड बनाए जाने का कोई औचित्य ही नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पूरा परिचय पत्र होता है उसके आधार पर विकलांग पेंशन, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन सहित सरकार की अन्य कई लाभकारी योजनाओं को लेने का व्यक्ति हकदार हो जाता है।

शिकायत के बाद डीएम ने दिए जांच के आदेश
140 नेपालियों के द्वारा बनाये गए आधार कार्ड से ओर अन्य सुविधाओं लेने के मामले में जांच बूथ दी है और कह की जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी, जिलाधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर इस तरह से आधार कार्ड बनाए गए हैं तो यह एकदम अवैध और अपराध की श्रेणी में है।

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