नेलांग घाटी के गडतांग गली का दीदार करें, एक बार यह आने का मन जरूर करेगा

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वर्ल्ड हेरिटेज में शुमार उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में स्थित गड़तांग गली का निरीक्षण के लिए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज उत्तरकाशी पहुंचे। सीमा यात्रा के तौर पर उत्तरकाशी जिले के चार दिवस दौरे में आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डुंडा वीरपुर में अपने समय के स्वीकृत 2 करोड़ रुपये के निर्माणाधीन ग्रोथ सेन्टर का निरीक्षण किया व उन से जुड़े कारोबारियों के उत्पाद भी देखे। गौरतलब है कि उत्तरकाशी जिले के भैरव घाटी लंका पुल से 1 किलोमीटर पहले कठोर चट्टानों को काटकर इसके साथ लोहे व लकड़ी के प्रयोग से ट्रैक का निर्माण
आज से करीब 300 साल्ड पहले हो चुका था जहां से तिब्बत से व्यापार व आवाजाही होती थी।
समय के साथ साथ सड़कों के निर्माण व आने जाने के दूरे सुगम रास्तों के निर्माण के बाद गड़तांग गली क्षतिग्रस्त हो गई थी। आज के युग की ये एक ऐतिहासिक धरोहर व रोमांचित करने वाली धरोहर है।
मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आन से 2 वर्ष पूर्व इसके पुनर्निर्माण के लिए 80 लाख रुपये स्वीकृत किये थे। आज गड़तांग गली बनकर तैयार हो चुकी है। इसी कार्य का निरीक्षण करने आज पूर्व मुख्यमंत्री उत्तरकाशी पहुंचे।।
इसी के साथ गंगोत्री से 10 किलोमीटर पहले भैरोंघाटी में स्वीकृत 6 करोड़ की लागत से बनने वाले स्नो लेपार्ड कंजर्वेशन सेन्टर के निरीक्षण के बाद सीमा क्षेत्रोंके, नेलांग घाटी, दायर बुग्याल आदि क्षेत्रों का दौरा करेंगे।।
गड़तांग गली का सफर बहुत ही रोमांचित, साहसिक, नैसर्गिक सौंदर्य से पूर्ण, देवदार के जंगल से गुजरते हुए जब 300 साल पुराने गढ़तांग गली को देखने जब देशी विदेशी पर्यटक पहुंचेंगे तो दंग, आश्चर्यचकित रह जाएंगे।।
किस तरह से इस लकड़ी के पुल को चट्टानों पर लोहे के गार्डर, रॉड पर देवदार के स्लीपर, तख़्तों को बिछाकर 130 मीटर लंबे ट्रैक को बनाया गया, ये अद्धभुत है और आश्चर्यजनक भी है।।

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