पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा कर दी प्रतिक्रिया

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उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कार्यकारणी की रार थमने का नाम नहीं ले रही। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व नेता प्रतिपक्ष के बयानों का जबाब अब अपनी सोशल साइट्स पर डाल कर
कॉंग्रेस में चल रही रार को बल दे दिया है

कांग्रेस विधायक हरीश धामी को प्रदेश कार्यकारिणी में प्रदेश सचिव बनाया गया है। उनका नाम प्रदेश सचिव की लिस्ट में सबसे अंतिम 98 नम्बर पर है। हरीश धामी के नाम के आगे श्री नहीं लगाया गया है जबकि 97 नामों के आगे श्री भी लगाया गया है।

हरीश धामी ने इसका ठीकरा नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के ऊपर फोड़ते हुये प्रदेश कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया था।

जिसके बाद अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा था कि मैंने हरीश धामी का नाम महासचिव के लिए दिया था उन्हें सचिव कैसे बनाया गया मुझे नहीं पता।

वहीं नेता प्रतिपक्ष इन्दिरा हृदयेश ने आग में घी डालने का काम करते हुये कहा था कि ये सब किसने किया है मुझे पता है। जो लोग प्रधान का चुनाव नहीं जीत सकते उन्हें भी पद चाहिए।

इन्दिरा हृदयेश प्रीतम सिंह की प्रतिक्रिया में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर जबाब देकर कॉंग्रेस में चल रही रार को बल दे दिया है
हरीश रावत की फेसबुक पोस्ट
एक बड़ा सवाल उछाला जा रहा है, श्री #हरीश_धामी का नाम किसने दिया, हाॅ नाम मैंने दिया, दर्जनों और नाम भी दिये। श्री हरीश धामी स्वयं दो बार व एक बार मुझे विधानसभा का चुनावजिता चुके हैं, स्वयं जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य रहे हैं और उस क्षेत्र में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, ब्लाॅक प्रमुख के चुनाव में पार्टी को महत्वपूर्ण उपलब्धियां दिलवा चुके हैं, सीमान्त क्षेत्र में कांग्रेस के स्तम्भ हैं। मैंने महासचिव पद के लिए उनका नाम दिया। ऐसे नामों को जिन्हें मैंने, अन्य दो दर्जन नामों के साथ महासचिव पद के लिये दिया, वहां पार्टी ने उन्हें सचिव पद पर नियुक्त कर दिया, ऐसे छः लोग हैं। मुझे खुशी है, राज्य में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने हरीश धामी जी की प्रशंसा में बहुत कुछ कहा है, उनको उचित पद नहीं दिया गया, इस तथ्य को स्वीकार किया है और कहा है, यह जिम्मेदारी नाम देने वाले व्यक्ति की है। काश सूची जारी करने से पहले इस तथ्य को ध्यान में रखकर श्री धामी, गुलजार आदि से बात कर ली जाती। मैं भी कहीं अदृश्य नहीं था, मुझे सूचित कर लिया जाता, मैं लिस्ट में सुधार हेतु सक्षम अथाॅरिटी से बात कर लेता। इतना सब कुछ कहने, सुनने की आवश्यकता नहीं पड़ती। श्री धामी, पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, वरिष्ठतम लोगों को उनकी स्वभाविक प्रतिक्रिया पर सार्वजनिक टिप्पणी करने से पहले सोचना चाहिये था। पद सब चाहते हैं, यदि पद नहीं दे सकते हैं तो सम्मान, तो हमें कार्यकर्ताओं को देना पड़ेगा। हममें से बहुत सारे लोग चुनाव नहीं जीत पाते हैं, यह कहना कि, जो ग्राम प्रधान का पद नहीं जीत सकते, उन्हें पद मांगने का अधिकार नहीं है, एक अलग बात है। ऐसे बयान, रात-दिन पार्टी के लिए परिश्रम कर रहे कार्यकर्ताओं का अपमान है।

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