टीएचडीसी ऑफिस बी पुरम के बहार ग्रामीण मांगों को लेकर धरने पर बैठे,

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टिहरी झील से प्रभावित नंदगाव ओर पयाल गांव के ग्रामीणों ने अपने विस्थापन सहित 7 मांग को लेकर टीएचडीसी आफिस बी पुरम में 6 दिनों से धरने पर बैठे है

टीएचडीसी आफिस के बहार ग्रामीण महिलाओं ने पुनर्वास विभाग और टीएचडीसी पर बांध प्रभावितों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि झील के कारण गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है। उनकी जमीन और मकानों पर दरारें पड़ रही हैं। इसके बावजूद उनका विस्थापन नहीं किया जा रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता सागर भंडारी ने कहा कि हमारा धरना जिला प्रशासन व सरकार के खिलाफ नही है हमारा धरना टीएचडीसी के खिलाफ है टिहरी बांध परियोजना के कारण टिहरी झील बनी है और टिहरी झील से गांव को नुकसान हुआ है इसलिए गांव का विस्थापन सही तरीके से हो ओर गांव को कट ऑफ डेट 2013 के अनुसार विस्थापित किया जाए

टीएचडीसी की दमनकारी नीति के खिलाफ अधिशाषी निदेशक टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के कार्यालय के बाहर सात मांगो को लेकर 6 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है

सात मांगे

1.संयुक्त विशेषज्ञ समिति से हटाये गए माननीय विधायको को वापस समिति मे रखा जाए
2. संपार्श्विक क्षति के तहत ग्रामीणों को संपूर्ण राशि का एक मुश्त भुगतान किया जाए
3. टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड मे बांध प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों को स्थाई रोजगार दिया जाए
4. टिहरी बांध क्षेत्र से 24 घंटे आवागमन की सुविधा हो।
5. हनुमंत राव कमेटी की शर्तों के आधार पर बांध प्रभावित क्षेत्र के लोगों को मुफ़्त बिजली पानी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए।
6. सी एस आर फंड को टिहरी जिले के अस्पतालों एवं विद्यालयों के प्रभावी संचालन मे प्रयोग किया जाए।
7 कट ऑफ डेट 2013 किया जाय

नंदगांव के ग्रामीण महिला मंजू ने कहा कि टीएचडीसी के द्वारा जो भी पॉलिसी बनाई गई है वह ग्रामीणों के हित में नहीं बनाई गई सिर्फ और ना ही ग्रामीणों को इस पॉलिसी के बारे में पहले बताया गया जिस कारण ग्रामीणों को नुकसान हो रहा है आज की महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं फिर भी उन्हें बेवकूफ बनाने का काम टिहरी बांध परियोजना के अधिकारी कर रहे हैं जिसे सहन नहीं किया जाएगा

दूसरी महिला ने कहा कि हमें टीएचडीसी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठने के लिए रोका जा रहा है जबकि हम शांतिपूर्ण ठंग से अपनी मांगों को रखने के लिए धरने पर बैठे हैं लेकिन टीएचडीसी के अधिकारी हैं जो ग्रामीणों की मांगों को सुनने का नाम नहीं ले रही है ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर टीएचडीसी ग्रामीणों की मांगों को नहीं मानती है तो टीएचडीसी के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा वही

टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने बताया कि विस्थापन के का कार्य जिलाप्रशासन ओर पुनर्वास विभाग द्वारा किया जाना है और इनकी जो भी मांग है वह जिलाप्रशासन व पुनर्वास विभाग से संबंधित है टीएचडीसी से इनका कोई वास्ता नहीं है, जो विस्थापन के लिए नीति बनी है उसी आधार पर ही इनका विस्थापन किया जाएगा

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