सामाजिक कार्यकर्ताओ ने बोराड़ी अस्पताल प्रबंधन पर उठाये सवाल

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टिहरी जिले का सबसे बड़ा बौराड़ी अस्पताल को पीपी मोड के तहत स्वामी राम हिमालयन जोली ग्रांट को दिया गया हुए 1 साल से अधिक का समय हो गया है और यहां पर आए दिन मरीजों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर सामाजिक संगठनों ने समय समय पर विरोध किया है ओर अस्पताल की सभी प्रकार की कार्यप्रणाली को लेकर सामाजिक संगठनों के साथ बैठक होनी थी लेकिन बौराड़ी अस्पताल प्रबंधन के द्वारा नई टिहरी के सामाजिक संगठनों जैसे नागरिक मंच आदि लोगो को बैठक में नही बुलाया गया जिससे नई टिहरी के सामाजिक संगठनों ने बौराड़ी अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी की अस्पताल प्रबंधन को जिला मुख्यालय से दूर निजी होटल में अधिकारियों के साथ बैठक करनी पड़ी जबकि यह बैठक नई टिहरी में सामाजिक कार्यकर्ता नागरिक मंच और सभी सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर चर्चा की जानी थी परंतु यह चुपचाप एक निजी होटल में बैठक करके इतिश्री कर दी और इससे साफ नजर आता है कि अस्पताल प्रबंधन जनता से कुछ छुपाना चाहती है ताकि अस्पताल की लापरवाही सरकार के सामने उजागर न हो सके,जबकि बेठक आये सामजिक कार्यकर्ता सुशील बहगुणा ने कमेटी से सरकार और जोलीग्रांट के बीच हुए एमयू व अस्पताल की प्रगति रिपोर्ट मांगी परन्तु बौराड़ी अस्पताल प्रबंधन एमयू व अस्पताल की प्रगति रिपोर्ट नही दे सके

जिला अस्पताल बौराड़ी के प्रबंधन एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तराखंड के द्वारा लोक निजी सहभागिता मॉडल पर संचालित स्वास्थ्य इकाई हेतु जिला स्तरीय प्रतिनिधियों व हितधारकों के मध्य टीसीआर होटल चम्बा में समन्वय कार्यशाला का आयोजन डॉ विनोद टोलिया, अपर परियोजना निदेशक के अध्यक्षता में किया गया।

आपको बता दें, टिहरी गढ़वाल का सबसे बड़ा जिला अस्पताल बौराड़ी को निजीकरण के तहत स्वामी राम हिमालय जोलीग्रांट को 5 सालों के लिए दिया गया है, जिसे 1 साल से अधिक का समय हो गया, लेकिन यहां पर मरीजों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और इलाज के दौरान लापरवाही को लेकर समय-समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा अस्पताल के बाहर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ धरना प्रदर्शन एवं आवाज उठाते रहे है, जिसको लेकर स्थानीय जनता ने अब पीपीपी मोड पर स्वामी राम हिमालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उत्तराखंड सरकार से अनुरोध किया है, कि इस अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाया जाए। क्योंकि पीपी मोड पर इसलिए दिया गया था कि यहां पर लोगों का इलाज सही तरीके से हो। जब यह अस्पताल उत्तराखंड सरकार के पास था, उस समय लोगों को यहां पर सही तरीके से इलाज मिल पा रहा था, लेकिन जब से स्वामी राम हिमालय को पीपीपी मोड मे दिया गया है। तब से यहां पर मरीजों का इलाज सही तरीके से नहीं हो पा रहा है और अस्पताल की स्थिति पहले से खराब हो चुकी है।

स्थानीय जनप्रतिनिधि अब इस अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाने की मांग कर रहे हैं और साथ ही मांग कर रहे हैं, कि इस अस्पताल को उत्तराखंड सरकार अपने हाथों में लेकर पहले की भांति चलाएं। जिससे मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।

इसी को लेकर अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तराखंड के द्वारा लोक निजी सहभागिता मॉडल पर संचालित स्वास्थ्य इकाई हेतु जिला स्तरीय प्रतिनिधियों व हितधारकों के मध्य समन्वय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे जिला अस्पताल बौराड़ी के संबंध में जनप्रतिनिधियों एवं हितधारकों के मध्य सीधा समन्वय करना था, जिससे पीपीपी मोड पर संचालित हो रहा जिला अस्पताल की कमियों को दूर किया जा सके, लेकिन यह बैठक महज कुछ गिने-चुने लोगों तक ही सीमित रही।

सामाजिक कार्यकर्ता मुरारी लाल खंडवाल, मोनू नौटियाल, पूजा देवी आदि का कहना है की पीपीपी मोड़ पर चल रहे जिला अस्पताल बौराड़ी के प्रबंधन द्वारा नई टिहरी की जनता से राय न लेकर इस कार्यशाला को जिला मुख्यालय टिहरी से दूर एक निजी होटल में करवाया गया। जहां पर टिहरी की जनता अपनी राय न रख सके और अस्पताल की रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को सही चले जाए। ताकि अस्पताल के खिलाफ स्थानीय लोगों की आवाज को दबा दिया जाए, परंतु स्थानीय लोगों ने साफ-साफ अस्पताल प्रबंधन पर उंगली उठा दी है, कि यह कार्यशाला नई टिहरी मुख्यालय या जिला अस्पताल के अंदर होना चाहिए थी। जहां स्थानीय लोग भी अपनी राय रख सके और अस्पताल की लापरवाही की हकीकत कमेटी जान सके।
कार्यशाला में पहुंचे अधिकतर लोग अस्पताल मैं कार्यरत डॉक्टर व कर्मचारी थे, कुछ गिने-चुने लोगों को ही इस कार्यशाला के बारे में बताया गया था, वही लोग वहां पर उपस्थित थे
जबकि हकीकत आए दिन हो रही लापरवाही को लेकर विवादों को देख सकते हैं।

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