7 किलोमीटर कंधे पर ले जाकर पहुंचाया अस्पताल, नही बचा पाए युवती की जान

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देश जहां चांद और मंगल पर आधुनिक शहर बसाने की बात कर रहा है वही आजाद भारत के गांव का यह हाल किसी से छुपा नहीं है पुरोला व मोरी विकासखंड के अधिकतर गांव में सड़क संचार और अस्पताल की सुविधा नहीं है जिससे आए दिन यह घटनाएं घटती रहती है और सरकार के नुमाइंदे सिर्फ कागजों में ही विकास दिखाकर राजनीतिक आकाओं को खुश करते हैं वही राजनीति करने वाले लोग सिर्फ चुनाव में इन गांवों को देखने के लिए चल देते हैं उसके बाद वह भी इनको भूल जाते हैं

उत्तरकाशी जीले की सरबडीयाड क्षेत्र की 20 वर्षीय युवती ने उपचार के अभाव में दम तोड़ दिया , लगभग 7 किलोमीटर कंधे पर लेकर आये थे परिजन ललेकिन समय से अस्पताल न पंहुच पाने पर लड़की की जान चली गयी ।आजादी मिलने के बाद भी इन गांव में अभी तक विकास कोशो दूर है

आजाद भारत में आज भी इस क्षेत्र के तकरीबन 35 सौ से ज्यादा लोग सड़क, संचार, अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं । यहाँ तक की गांव आने जाने के लिए अदद सुरक्षित रास्ते तक नहीं आज भी लोगों को उफनती व बरसाती नालों को पार कर तहसील मुख्यालय 25 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करना पड़ता है।

20 वर्षीय कंचन की कुछ दिन पूर्व गले व पेट में दर्द की शिकायत होने लगी घर पर ही उसका उपचार चल रहा था तबीयत बिगड़ने पर उसे गांव वालों की मदद से डंडी कंडी में बिठाकर 10 किलोमीटर की दूरी उफनती नदी नालों के बीच पैदल ही तय कर मुख्य सड़क मार्ग तक पहुँचाया गया जहाँ से लगभग 20 किमी दूर बड़कोट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया जी हां यही है 21वीं सदी के भारत की असली तस्वीर आज भी सर बड़ीयाड क्षेत्र के 8 गांव की असली तस्वीर इन गांव में जाने के लिए न सड़क की सुविधा है नाही संचार व्यवस्था अस्पताल तो मानो सपनों जैसा है इन 8 गांव के लिए सरकार ने एक आयुर्वेदिक अस्पताल तो खोला जिसमें डॉक्टर की कोई व्यवस्था नहीं है अस्पताल फार्मेसिस्ट के भरोसे संचालित किया जाता है जो ईद की चांद की तरह कभी-कभी दिख जाता है

 

 

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