ब्रैकिंग:-टिहरी झील का जलस्तर बढ़ाने से कोटि कालोनी में डूबे आस्था पथ,यात्री विश्राम सेड व रेलिंग,पर्यटक जान जोखिम में डालकर आ जा रहे है बोटिंग पॉइंट तक,

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एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील का जलस्तर बढ़ गया है और जो उत्तराखंड सरकार के द्वारा टीएचडीसी को 830 आरएल मीटर पानी भरने की अनुमति दी गई थी,आज टिहरी बांध की झील का जलस्तर 829.50 आरएल मीटर तक पहुंच गया है अब सिर्फ 830 आरएल मीटर जलस्तर होने के लिए मात्र 50 मीटर बचा हुआ है

आज से पहले 830 आरएल मीटर तक झील का जलस्तर  2013 की आपदा में पहुंचा था,जिसमे टीएचडीसी में हड़कंप मच गया था और पानी निकासी के लिए साइड के स्पील वे खोल दिये गए थे ,जिससे पहाड़ो की तरफ भागीरथी व भिलंगना नदी से आ रहे तेज पानी को रोककर धीरे धीरे स्पील वे से छोड़ा गया,

2013 के आपदा में टिहरी डेम मैदानी इलाकों के लिए सुरक्षा की दीर्ष्टि से बरदान साबित हुआ,क्योंकि पहाड़ो से जो तेज बारिश के साथ पानी आया उसे टिहरी डेम ने रोककर कोटेश्वर,देवप्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार, सहित आगे के इलाकों को तबाही से बचाया,

टिहरी झील का जलस्तर लगातार बढ़ने से कोटी कॉलोनी में पर्यटन विभाग के द्वार बनाये गए आस्था पथ, टेंट, फुटपाथ, पर्यटकों को आने-जाने के रास्ते, यात्री विश्राम सेड, डूब गए हैं जिससे कोटी कॉलोनी के किनारे वोटिंग पॉइंट पर वोटिंग करने के लिए आ जा रहे पर्यटकों को वोटिंग पॉइंट तक आने जाने की समस्या से जूझना पड़ रहा है और लोग जान जोखिम में डालकर बोटिंग प्वाइंट तक पहुंच रहे हैं

सबसे बड़ा आश्चर्य की बात है कि पर्यटन विभाग के द्वारा बनाए गए करोड़ों रुपए की संपत्ति आज झील में डूब गई जिससे उत्तराखंड सरकार के द्वारा लगाए गए पैसे बर्बाद हो गया है

वही पर्यटन विभाग के अधिकारी का कहना है कि टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से पर्यटन विभाग के संपत्ति को नुकसान हुआ है

टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने कहा कि 835 आरएल मीटर के नीचे जितने भी संपत्ति है वह टीएचडीसी की है और 835 आरएल मीटर से नीचे जो भी संपत्ति का निर्माण करता है उसका जिम्मेदार वही है जबकि पहले से ही तय है कि टिहरी झील का जल स्तर 830 आरएल मीटर तक देर सबेर भरा जाना तय है और इस बार उत्तराखंड सरकार में टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति दी है,

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