टिहरी झील का जल स्तर बढ़ने पर झील का पानी पहुंचा उप्पू गांव के मकानों के पास,

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टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर बढ़ने पर जहां टिहरी बांध परियोजना फूले नहीं समा रहा है ओर बिजली उत्पादन में व्यस्त है वही टिहरी झील के बढ़ते जलस्तर को लेकर टिहरी झील के समीप बसे उप्पू गांव के ग्रामीण परेशान हैं क्योंकि टिहरी झील का पानी उप्पू गांव के मकानों के पास पहुंच गया है जिससे गांव के लोग डरे और सहमे हुए हैं

ग्रामीणों का कहना है कि टिहरी झील के पानी के कारण गांव के मकान कभी भी झील में समा सकते हैं गांव के ग्रामीण कई सालों से अपने विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं परंतु टिहरी बांध परियोजना और पुनर्वास विभाग के अधिकारियों के द्वारा नियमों कानून के उलझन में उप्पू गांव  टिहरी झील के कारण मुसीबत में आ पड़ा है और अभी तक किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया

टिहरी बांध की झील के किनारे बसे उप्पू गांव के 110 से अधिक परिवारों ने शासन-प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह 15 सालों से विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं. किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. अब झील का पानी गांव तक पहुंच गया है. मिट्टी धसकने लगी है. गांव वालों की जान खतरे में है. गांव के मंदिर के चारों ओर झील का पानी आ चुका है

ग्रामीणों ने टिहरी बांध परियोजना और पुनर्वास विभाग पर आरोप लगाया कि वह 15 सालों से विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन शासन-प्रशासन के द्वारा ग्रामीणों की सुध नहीं ली गई. अब खतरा गांव तक पहुंच गया है. कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है. अगर अब भी शासन-प्रशासन जल्दी नहीं जागा तो कोई भी बड़ी जनहानि हो सकती है

वही ग्रामीणों ने उत्तराखंड सरकार पर भी आरोप लगाया कि उत्तराखंड सरकार में टीएचडीसी को 830 आरएल मीटर पानी भरने की अनुमति गलत तरीके से दे दी जबकि आज भी टिहरी झील के किनारे कई ऐसे गांव हैं जिनका विस्थापन होना बाकी है और आज जब टिहरी झील का जल स्तर 830 आर एल मीटर पर पहुंच गया है तो झील के आसपास उप्पू रौलाकोट सहित कई ऐसे गांव हैं जिनके नीचे जमीन धंस रही है लेकिन ना तो उत्तराखंड सरकार और ना ही टीएचडीसी व पुनर्वास बिभाग ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया

अब टीएचडीसी को 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति मिली है तो अब टीएचडीसी बिजली उत्पादन करने में व्यस्त हो गया अब टीएचडीसी ग्रामीणों की कोई सुध नहीं ले रहा है सरकार को चाहिए कि 830 आरएल मीटर तक टिहरी झील का जलस्तर भरने की जो अनुमति दी है उसे वापस लें और तब तक अनुमति न दें जब तक टीएचडीसी झील के किनारे बसे आंशिक डूब क्षेत्र के परिवारों को विस्थापित नहीं करता है,

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