डोबरा चांठी पुल सौ प्रतिशत सुरक्षित,डोबरा चांठी पुल के ऊपर बिछी मास्टिक की थर्ड पार्टी से टेस्टिंग करवाने के बाद इस्तेमाल किया गया मेटीरियल,

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डोबरा चांठी पुल पर बिछी मास्टिक पर उठ रहे सवालो को लेकर
प्रोजेक्ट मैनेजर ने ताजा खबर उत्तराखंड से बातचीत में कह डोबरा चांठी पुल के ऊपर बिछी मास्टिक सो प्रतिशत सुरक्षित, थर्ड पार्टी के टेस्टिंग करवाने के बाद इस्तेमाल किया गया मेटीरियल,

टिहरी झील के उपर बना भारत देश का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी पुल का निर्माण चंडीगढ़ की वीके गुप्ता कम्पनी एसोशिएट के द्वारा किया गया,

टिहरी झील के ऊपर डोबरा चांठी पुल के बनने से प्रतापनगर व उतरकाशी की गाजणा पट्टी के 5 लाख से अधिक जनता को इस पुल के ऊपर से आवागमन होता है

यह डोबरा चांठी पुल प्रतापनगर की लाइफ लाइन बनी है,साथ ही इस पुल के ऊपर से हर दिन एक हजार से अधिक छोटे बड़े वाहनो का आवागमन होता है,

डोबरा चांठी पुल पर बिछी मास्टिक के जोड़ खुलने को लेकर लगातार पुल की सुरक्षा को लेकर बार बार सवाल उठते रहते है जिसका खण्डन प्रोजेक्ट मैनेजर ने किया है,

डोबरा चांठी पुल का निर्माण करने वाली गुप्ता कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर मोहमद ने  मास्टिक के जोड़ खुलने को लेकर बताया कि डोबरा चांठी पुल सो प्रतिशत सुरक्षित है और इस पर बिछाई गई मास्टिक भी सुरक्षित है और यह संशपेनसन पुल है जिससे मास्टिक के जोड़ खुल जाते है,ओर जैसे यह जोड़ खुलते है तो उन जोड़ो को तुरंत ठीक किया जाता है और पिछले समय कुछ जगहो से जोड़ खुल गए थे उन्हें उसी समय ठीक कर दिया था,ओर जैसे जोड़ खुलते है तो उसको तुरन्त ठीक किया जाता है यह मास्टिक पहले भी सुरक्षित थी और अब भी सुरक्षित है ओर कभी कभार तापमान की वजह से जोड़ खुल जाते है,

इसकी देखरेख करने के लिए यह पर स्टाफ़ पहले से ही रखा गया है जो इसकी पूरी मॉनीटिरिंग करती है,साथ ही इस पुल पर मास्टिक बिछाने में जो भी मेटीरियल इस्तेमाल किया गया है, उस मेटीरियल को थर्ड पार्टी से टेस्टिंग करवा कर ही लगाया गया है,

डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है, जिसमें 440 मीटर सस्पेंशन ब्रिज है। इस पुल की उम्र करीबन 100 साल तक बताई जा रही है। पुल के निर्माण पर करीब 3 अरब रुपये खर्च हुए।

डोबरा चांठी पुल का निर्माण 2006 में शुरू हुआ था , लेकिन काम के दौरान कई उतार-चढ़ाव और समस्याएं सामने आने लगी. गलत डिजाइन, कमजोर प्लानिंग और विषम परिस्थितियों के चलते साल 2010 में इस पुल का काम बंद हो गया था. साल 2010 में पुल के निर्माण में लगभग 1.35 अरब खर्च हो चुके थे. दोबारा साल 2016 में लोक निर्माण विभाग ने 1.35 अरब की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य शुरू कराने का निर्णय लिया. जो 2020 में बनकर तैयार हुआ.

 

पुल के डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकाला गया. साउथ कोरिया की यूसीन कंपनी को यह टेंडर मिला. कंपनी ने पुल का नया डिजाइन तैयार किया और जैकी किम की निगरानी में तेजी से पुल का निर्माण शुरू हुआ. साल 2018 में एक बार फिर काम में व्यवधान पड़ा. जब निर्माणाधीन पुल के तीन सस्पेंडर अचानक टूट गए. तमाम मुश्किलों के बाद अब 2020 में यह पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो हुआ. लंबे उतार-चढ़ाव के बाद अब प्रताप नगर की जनता सीधे कम समय में अब जिला मुख्यालय आ जा रहे है

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