टिहरी झील के किनारे देवभूमि कंस्ट्रक्शन के द्वारा बनाई गई सड़क पर नही हुआ डामरीकरण,PWD के अधिकारियों द्वारा नही सुनी जा रही है MLA व जनप्रतिनिधियों की बातें,

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टिहरी जिले के प्रताप नगर विधानसभा के अंतर्गत टिहरी झील के किनारे साँदणा बैंड से रोलाकोट होते हुए डोबरा चांठी पुल तक लगभग 10 किलोमीटर की सड़क देवभूमि कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा द्वारा बनाई गई है लेकिन आश्चर्य की बात है की दो साल बीतने के बाद भी इस सड़क का डामरीकरण नहीं हो पाया जिससे आने जाने वाले वाहनों को व सवारियों को धूल खाकर टूटी फूटी उबड़ खाबड़ सड़क से गुजारना पड़ रहा है

साथ ही बता दें कि इस सडक़ को बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग बौराड़ी के साथ देवभूमि कंस्ट्रक्शन कंपनी का अनुबंध किया गया था जिसमें इस सड़क का निर्माण 12 अप्रैल 2018 को शुरू हुआ और 11 अक्टूबर 2018 को पूरा करना था लेकिन सड़क तो बना दी गई लेकिन सड़क के दोनों तरफ फैली मिट्टी के स्लैब नही हटाए गए और ना ही इस सड़क पर डामरीकरण किया गया,

साथ ही बता दें कि इस सड़क को बनाने के लिए अनुमानित लागत 7 करोड़ 40 लाख के लगभग स्वीकृत हुआ था जिसमें नाबार्ड के द्वारा 6 करोड़ 70 लाख के लगभग धन मिला लेकिन आश्चर्य की बात है कि आज तक दो साल बीतने के बाद भी इस सड़क का डामरीकरण नही हुआ और आज भी इस टूटी फूटी सड़क से हजारों वाहन प्रतिदिन गुजरते हैं

ग्रामीणो ने लोक निर्माण विभाग बौराड़ी के अधिकारियों पर इस सड़क का डामरीकरण न किए जाने का आरोप लगा है,साथ ही ग्रामीणों ने लोक निर्माण बिभाग को चेतावनी दी है कि अगर अचार संहिता से पहले इस सड़क का डामरीकरण नही हुआ तो ग्रामीण लोक निर्माण बिभाग बौराड़ी के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे,

साथ ही देखने मे आया है कि 2022 का चुनाव नजदीक है ओर लोक निर्माण विभाग के अधिकारी चुनाव को नजदीक आते देख उन पर किसी जनता व जन प्रतिनिधि की बातों का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है और अब अधिकारियों की मनमानी जनता पर भारी पड़ने लग गई है लोक निर्माण विभाग अधिकारी अब किसी की सुनने को  तैयार नहीं है

लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के सामने रख दी परंतु लोक निर्माण विभाग के अधिकारी हैं जो काम करने को तैयार नहीं है और ना ही मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन किया जा रहा है इससे साफ साबित होता है कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेशों का कितना पालन कर रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वहां जनता हित के कामों को लापरवाही से ना लें परंतु अधिकारी है कि सुनने को तैयार ही नहीं इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव नजदीक आने पर नेताओं का अधिकारियों पर कितना असर हो रहा है

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