टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति ने लगाया टीएचडीसी पर अनदेखी का आरोप ग्रामीणो ने कहा टीएचडीसी जल्दी दे पुनर्वास बिभाग को 252 करोड़

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टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति ने टीएचडीसी को चिन्हत 415 परिवारों के विस्थापन के लिए 252 करोड़ रूपये शीघ्र जारी करने की मांग की है। कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हाइपॉवर कमेटी के आदेश पर यह धनराशि स्वीकृत हुई थी। लेकिन टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक ने अभी तक यह धनराशि जारी नहीं की है। उन्होंने सम्पार्शि्वक क्षति नीति (विस्थापितों के लिए तय नीति) के तहत भटकंडा, लुटेणा, पिपोला, सिल्ला उप्पू, खांड, उठड़, गडोली आदि गांव के लिए भी प्रतिकर राशि भुगतान की मांग की है। कहा कि इन गांवों में टिहरी झील के कारण भूस्खलन और भू धसाव की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा, व पूर्व प्रधान प्रदीप भट्ट, प्रताप सिंह राणा और प्रेम सिंह राणा ने पत्रकार वार्ता करते हुए सरकार का आभार जताया कि 415 पात्र परिवारों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि अभी भी कई समस्याएं बनी हुई हैं। उन्होंने रौलाकोट, नंदगांव सहित पयाल गांव की समस्याएं हल करने, टीएचडीसी और पुनर्वास विभाग से 2022 के जीएसआई सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने, संपार्शि्वक क्षति नीति की समीक्षा करने, भागीरथी, भिलंगना और कोटेश्वर घाटी में प्रभावितों की समस्याएं टीएचडीसी को हल करने की मांग की।

साथ ही पुनर्वास नीति 1998 के अनुसार संपार्शि्वक क्षति नीति में भी यदि किसी गांव के 75 प्रतिशत परिवार बांध से प्रभावित हैं तो उस गांव के 25 प्रतिशत अवशेष परिवारों को भी विस्थापन की श्रेणी में रखा जाए। साथ ही टीएचडीसी से सीएसआर की धनराशि टिहरी और उत्तरकाशी जिलों खर्च की जाय और सेवा-टीएचडीसी का कार्यालय नई टिहरी वापस लाने की मांग की।

2010 से प्रभावित परिवारों को फसलाना देने और समन्वय समिति में प्रभावित क्षेत्रों के विधायकों को दोबारा शामिल करने की मांग की है। कहा कि आरएल-835 से ऊपर से गांवों में झील से भू-धसाव हो रहा है। इसलिए इन गांवों का दुबारा सर्वे किया जाए।

ओर अगर टीएचडीसी जल्दी इन मांगों को नही मानती है तो सभी ग्रामीण टीएचडीसी के कार्यालय के बाहर विशाल धरना प्रदर्शन के साथ भूख हड़ताल की जाएगी जिसको सम्पूर्ण जिम्मेदारी टीएचडीसी की होगी

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