भेड़ करते है मंदिर की परिक्रमा,सदियों से की चली आ रही है परंपरा

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टिहरी में भिलंगना विकासखंड के सीमांत गेंवाली गांव के भगवान सोमेश्वर के मंदिर में भेड़ परिक्रमा मेले का आयोजन किया गया। जिसमें ग्रामीणों ने भेड़ों के साथ मंदिर की परिक्रमा कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की।

भिलंगना ब्लॉक की बासर पट्टी के ग्रामीणों का भेड़ पालन प्रमुख व्यवसाय है। जिससे उनकी आर्थिकी का पहिया भी चलता है। उच्च हिमालय क्षेत्रों में बर्फबारी होने पर जंगलों से भेड़ पालक अपने मूल गांव की ओर लौटने लगते है। गांव लौटने पर भेड़ पालक अपने आराध्य देव सोमेश्वर की पूजा-अर्चना करते है। गेंवाली गांव में प्राचीन सोमेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। बीते सोमवार सायं को मंदिर परिसर में एक दिवसीय भेड़ परिक्रमा मेले का आयोजन किया गया। मान्यता है कि उच्च हिमालय क्षेत्र के जंगलों में प्रवास के दौरान आराध्य देव सोमेश्वर ही जंगली जानवर और आपदाों से भेड़ों की रक्षा करते है। सोमेश्वर मंदिर पहुंचकर भेड़ों के साथ पशु पालकों ने मंदिर की परिक्रमा की।

आश्चर्य देखने को मिलता है कि यहां पर हजारों की तादाद में जो भीड़ हैं वहां दिव्य शक्ति के कारण अपने आप ही मंदिर की परिक्रमा करने लगते हैं और जब भीड़ मंदिर की परिक्रमा करते हैं तो देखने में आकर्षक लगता है

गांव पूर्व प्रधान बचन सिंह ने बताया कि सोमेश्वर देवता क्षेत्र के आराध्य देव हैं। भेड़ परिक्रमा की परिक्रमा सदियों से चली आ रही है। इस मौके पर दिनेश रतूड़ी, कुलदीप सिंह, रमेश जिरवाण, मोहन सिंह राणा, महावीर, राजेंद्र राणा, सूरत सिंह, हुकुम दास, विजय सिंह, नैन सिंह, सोहन सिंह बलवीर सिंह, जयप्रकाश, हरि सिंह मौजूद थे।

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