रौलाकोट, उठड,नंदगाव के ग्रामीणो ने विस्थापन की समस्याओं को लेकर पुनर्वास आफिस का दरवाजा बन्द करके दिया धरना,कर्मचारी आफिस के अंदर ही फंसे रहे,

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टिहरी झील से प्रभावित रौलाकोट उठाड्ड पीपोला नांदगांव उप्पू,भलड़ियाना के ग्रामीण लगातार 20 सालों से अपने विस्थापन की मांग करते आ रहे है लेकिन पुनर्वास बिभाग की दोहरी नीति के कारण आधा दर्जन से अधिक गाव है परिवारों को पात्रता की सूची ने नही लिया गया,जबकि पुनर्वास नीति में साफ निर्देश है कि जो गाव टिहरी झील कर कारण 100 प्रतिशत परिवारों में से अगर 75 प्रतिशत परिवार की पात्रता बनने के बाद विस्थापित किया गया है तो उस गाव के 25 प्रतिशत बचे परिवार पुनर्वास नीति के आधार पर पूरा लाभ देकर विस्थापित किया जाएगा,

लेकिन पुनर्वास बिभाग की दोहरी नीति के कारण रौलाकोट आदि गाव के 25 प्रतिशत परिवारों को विस्थापित नही किया गया जिसको लेकर रौलाकोट,नंदगांव, पीपोला, उठड, आदि गाव की महिलाओं ने विस्थापन की मांग को लेकर पुनर्वास ऑफिस का मुख्य दरवाजे पर धरने पर बैठ गये,जिससे आफिस में काम कर रहे कर्मचारी आफिस के अंदर ही फस गये, महिलाओं को मनाने के लिए मोके पर पुलिस लगी हुई है,

महिलाओं का कहना है कि झील का पानी से गाव के मकानों ओर खेत खलियानों में दरार पड़ चुकी है और कई बार विस्थापन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया परन्तु पुनर्वास विभाग के अधिकारियों द्वारा बार बार महिलाओं के साथ झूठा वादा किया जाता है उनके बाद कोई कार्यवाही नही करते,इस लिए मजबूर होकर पुनर्वास आफिस के बाहर धरने पर बैठना पड़ रहा है,

महिलाओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि जल्दी ही पुनर्वास नीति के तहत 25 प्रतिशत बचे परिवारों को विस्थापित नही किया जाता है साथ ही कट ऑफ डेट 2021 किया जाय नही तो तब तक धरना जारी रहेगा,ओर जो कर्मचारी आफिस के अंदर है उन्हें बाहर नही आने दिया जाएगा जिससे वह आज घर भी नही जा सकेंगे,उससे इन सब कर्मचारियों का पता चलेगा कि गाव के ग्रामीण कैसे परेशानी में जी रहे है,इसलिए किसी भी कर्मचारी को बहार नही आने देंगे,

सामाजिक कार्यकर्ता सागर भंडारी ने कहा कि विस्थापन के मुद्दे को लेकर मैं शुरुआत से लेकर अब तक लड़ाई लड़ रहा हूं लेकिन हर बार जब भी धरना होता है पुनर्वास विभाग के अधिकारी और कर्मचारी झूठे आश्वासन देकर धरना को समाप्त करवाते हैं और फिर समस्याओं का समाधान नहीं करते जिससे मजबूर होकर ग्रामीणों को धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ता है और इस बार विस्थापन को लेकर जल्दी ही ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो यह धरना विराट रूप लेगा

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