स्वास्थ्य सेवाओं हेतु राज्य में एकीकृत परिषद की स्थापना ज़रूरी : डॉ जितेन्द्र गैरोला

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उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ एवं विश्वस्तरीय शोध हेतु भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान स्थापित किया जाये इस सम्बन्ध में एम्स ऋषिकेश में कार्यरत डॉ जितेन्द्र गैरोला द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विधानसभा अध्यक्षा श्रीमती ऋतू खंडूरी भूषण तथा पूर्व मुख़्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, रमेश पोखरियाल “निशंक, पूर्व मुख़्यमंत्री एवं सांसद, श्री सुबोध उनि‍याल जी कैबिनेट मंत्री के सम्मुख इस सम्बन्ध में प्रस्ताव रखा गया।

आयुष्मान भारत इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के अंतर्गत चार जोनल ( उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी स्थापित किए जाने हैं। इस योजना का उद्देश्य यह है कि भविष्य में समय – समय पर सार्वजनिक स्वास्थ्य संक्रमण जैसे कोविड -१९ महामारी से निपटने में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। इसके अतिरिक्त नई एंटी वायरल दवाइयों पर शोध, डायग्नोस्टिक किटएवं वैक्सीन व्यापक स्तर पर बनायी जा सके।

डॉ जितेन्द्र गैरोला द्वारा ने बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद का कोई भी संस्थान अभी तक प्रदेश में स्थापित नहीं किया गया है अतः उत्तर राज्यों में संक्रमण रोगों की निरंतर निगरानी के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी उत्तराखंड में स्थापित किया जाए जिससे माध्यम से संक्रामक रोगों के निदान हेतु प्रदेश महत्वपूर्ण योगदान दे पाएगा।

साथ ही डॉ जितेन्द्र गैरोला ने अवगत कराया की राज्य में एक स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए एकीकृत परिषद ( इंटीग्रेटेड काउंसिल) स्थापित होनी चाहिए इस के लिए निरन्तर प्रयासरत हैं और कार्यान्यवित करने के लिए प्रस्ताव भी लिखा है। एकीकृत परिषद के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में शोध हेतु एक राज्य स्तरीय मल्टी-सेक्टोरल मॉडल बनाया जा सकता है और वैकल्पिक चिकित्सा (इंटीग्रेटेड मेडिसिन ) को भी बढ़ावा मिलेगा इसके अतिरिक्त, यह समग्र रणनीति राज्य में स्वास्थ्य देखभाल और नवाचारों में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए कई विषयों को एक साथ लाएगी।

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