टिहरी बांध प्रभावित गांवों में भू-धसाव से ग्रामीणों को रही दिक्कत, प्रभावित गांव की स्थिति जोशीमठ से भी ज्यादा भयावह

0
236

दैवीय आपदा से प्रभावित टिहरी  जिले के 9 गांव के 440 परिवारों को सुरक्षित उपलब्ध कराने को जिला प्रशासन के स्तर से गतिमान है। प्रभावित परिवारों को गांव के आसपास ही सुरक्षित स्थान पर भवन निर्माण को धनराशि दी जा रही है।

टिहरी जिले के त्यालनी गांव के 20 परिवारों को जिला प्रशासन ने भवन निर्माण के लिए प्रति परिवार सवा 4 लाख रुपये की धनराशि मुहैया करवा दी है। जिन्होंने भवन निर्माण कर दिए हैं। वहीं भेलुंता ग्राम पंचायत की छेरदानू तोक के 26, इंद्रौला के 220, अगुंडा के 99, कोट के 34, पनेथ के 21, डौंर के 11, भैतांण गांव के 4 और हलेथ के 5 परिवारों को भवन निर्माण के लिए प्रथम किश्त के रूप में डेढ़-डेढ़ लाख रुपए की धनराशि निर्गत कर दी है।

वही बात टिहरी झील की बात करें तो टिहरी झील के समीप बसे गांव में कई ऐसे परिवार हैं जिनके मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं लेकिन उनके विस्थापन की कार्यवाही नहीं हो पाई और जब गांव के लोग विस्थापन की मांग करते हैं तो शासन प्रशासन नियमों में उलझा कर ग्रामीणों को अपने हाल पर छोड़ छोड़ देते हैं जबकि उन परिवारों के जमीन पूरी तरह से टिहरी बांध की झील में डूब चुकी है लेकिन उनका विस्थापन नहीं हो पाया जिसको लेकर टिहरी झील के आसपास के ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन भी किए लेकिन आश्वासन पर आश्वासन मिलने के बाद गांव के लोग ठगे से रह गए

अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा ने बताया कि जिले के आपदा से प्रभावित 9 गांव के चिन्हित परिवारों को सवा 4 चार लाख रुपये प्रति परिवार दिए जा रहे हैं। यह धनराशि तीन किश्तों में दी जा रही है। बताया कि जैसे-जैसे संबंधित परिवार भवन निर्माण कराएंगे वैसे-वैसे उनके खातों में धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा टिहरी बांध प्रभावित उठड़, नंदगांव, पिपोला, भटकंडा, मदन नेगी, खोला, जलवालगांव, सांदणा, रालौकोट, भल्डियाना, सिल्ला, तल्ला उप्पू आदि गांवों में टिहरी बांध की झील के कारण जबरदस्त भू-धसाव हो रहा है। हालांकि इनके विस्थापन की प्रक्रिया इन दिनों चल रही है। बावजूद इसके इन गांवों में जीवन यापन करना किसी चुनौती से कम नहीं है। इस बाबत वरिष्ठ अधिवक्ता व सुप्रीम कोर्ट में बांध प्रभावितों की पैरवी करने वाले शांति प्रसाद भट्ट का कहना है कि टिहरी बांध प्रभावित गांवों में सरकार को तत्काल विशेषज्ञ समिति को भेजकर भू-धसाव का आकलन करना चाहिए। इसके बाद इन गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here