गांव वापसी संवाद कार्यक्रम का हुआ समापन, अनेकों क्षेत्र में काम कर रहे बुद्धिजीवियों को किया गया सम्मानित

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पलायन रोकने के लिए अहमदाबाद में रहने वाले विरेन्द्र रावत के द्वारा प्रतापनगर के हिरवाल गांव में तीन दिवसीय गांव वापसी संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका आज समापन हुआ

इस गांव वापसी संवाद कार्यक्रम में 150 से अधिक बुद्धिजीवी प्रवासियों ने अपने अपने क्षेत्र में किये गए कार्यों को ग्रामीणो के साथ साझा किया,

सभी बुद्धिजीवी प्रवासियों ने संयोजक डॉ वीरेंद्र रावत के द्वारा गांव वापसी संवाद कार्यक्रम की शुरुआत करने को लेकर प्रशंसा की, और कहा की यह पहल बहुत अच्छी पहल है और आने वाले भविष्य में सभी लोग इस तरह के कार्यक्रम से सीख लेकर बाहर रहने वाले प्रवासियों को संदेश देने का काम करेंगे जिससे बहार रह रहे प्रवासी अपने गांव वापस आकर गांव को आबाद करने का काम करेंगे

वही प्रवासी डॉ वीरेंद्र रावत ने कहा यह गांव वापसी कार्यक्रम वापसी संवाद कार्यक्रम करवाने के पीछे उन लोगों को संदेश देना था जो अपने गांव को छोड़कर अन्य शहरों में रह रहे हैं और गांव के गांव खाली हो रहे हैं और उन्हें इस कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश देने का काम किया जा रहा है की सभी प्रवासी लोग अपने घरों को लौट कर अपने मूल जगहों पर काम करें क्योंकि पहाड़ों में रोजगार के बहुत साधन है बस जरूरत है तो ऐसे प्रवासी लोगों की जरूरत है जो गांव लौट कर स्वरोजगार करके अन्य लोगों को भी रोजगार देने का काम करेंगे जिससे पलायन रुक सके और

डॉ वीरेंद्र रावत ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने की राह में है और 2047 तक गांव को गांव वापसी संवाद कार्यक्रम के तहत समृद्धि, हरियाली, रोजगार,पैदा करना है जिनसे आने वाली पीढ़ियों को पलायन न करना पड़े और सारी सुविधाएं गांव में ही उपलब्ध हो और गांव मजबूत होंगे तो भारत मजबूत होगा भारत की संस्कृति गांव में बसती है और हमारे गांव के संस्कृति प्रकृति अच्छी होगी और इस कार्यक्रम से लोग प्ररेणा लेंगे, जब जब राजा भगीरथ अपने पूर्वजों के लिए गंगा मां को धरती पर ला सकते हैं तो हम क्यों नहीं अपने पूर्वजों के घर खेत खलियान को आबाद क्यों नहीं कर सकते,

गांव वापसी संवाद कार्यक्रम भारत में उत्तराखंड राज्य के प्रतापनगर के दूरस्थ गाव हिरवाल गांव से पहली बार शुरुआत की गई है और जो अत्यंत सफल रहा जिसमें 150 से अधिक प्रवासियों ने हिस्सा लिया और अपनी बात रखी,

वही कार्यक्रम में आए लोगों ने कहा कि अहमदाबाद में रहने वाले प्रवासी डॉ वीरेंद्र रावत ने अपने हिरवाल गांव में गांव वापसी संवाद कार्यक्रम का आयोजन करके सभी प्रवासियों को संदेश देने का जो काम किया वह बहुत ही सराहनीय काम है और सभी प्रवासियों को इनसे सीख लेने की जरूरत है साथ ही कहा कि डॉ वीरेंद्र रावत के द्वारा गांव वापसी संवाद कार्यक्रम की तरह उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री को इस तरह के कार्यक्रम गांव-गांव में करवाने चाहिए,और सरकारों को इस कार्यक्रम से सीख लेने की जरूरत है,

श्रुति लखेडा ने कहा कि हमें गांव वापसी संवाद जैसे कार्यक्रमों की आवश्यकता लगती है क्योंकि उत्तराखंड में इसी तरह के संवाद से और हमें ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत महसूस होती है और मैं साधुवाद धन्यवाद देती हूं इस कार्यक्रम को करने वाले संयोजक डॉ वीरेंद्र रावत को जिन्होंने इस कार्यक्रम की शुरुआत और पहल की है पलायन रोकने के लिए इसी तरह की पहल भारत सरकार और राज्य सरकार को करनी चाहिए जिस से पलायन रुके, साथी इस कार्यक्रम के माध्यम से उत्तराखंड के समृद्ध प्रवासियों से आवहान किया कि आइए उत्तराखंड देव भूमि को आपकी जरूरत है,

इस कार्यक्रम में आज 50 से अधिक लोगो को अपने अपने क्षेत्र में ख्याति प्राप्त लोगों को भागीरथी सम्मान से नवाजा गया

 

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